जानना चाहते है 7 प्रमुख सप्त ऋषि के नाम और उनकी कहानी? आगे पढ़ें।
महर्षि कश्यप को सृष्टि के सृजन करने का श्रेय प्राप्त है।महर्षि कश्यप अपने श्रेष्ठ गुणों, प्रताप एवं तप के बल पर श्रेष्ठतम महाविभूतियों में गिने जाते हैं।
महर्षि अत्रि ब्रह्माजी के मानस पुत्र थे जिनका जन्म ब्रह्माजी के नेत्रों से हुआ था।इन्हें ज्योतिष और आयुर्वेद का ज्ञाता कहा जाता है और इनका सबसे ज्यादा उल्लेख ऋग्वेद में है।
महर्षि वशिष्ठ की उत्पत्ति ब्रह्मदेव की प्राण वायु से हुई थी।महर्षि वशिष्ठ आगे चलकर इक्ष्वाकु वंश के कुलगुरु और भगवान राम और उनके भाइयों के गुरु बने।
महर्षि विश्वामित्र का वर्णन मुख्य रूप से रामायण में आता है।महर्षि विश्वामित्र जन्म से ब्राह्मण नहीं थे, अपितु घोर तपस्या करके उन्होंने ब्रह्मर्षि का पद प्राप्त किया था।
महर्षि गौतम ब्रह्मा जी के मानस पुत्र अंगिरा के वंशज हैं।गौतम जन्मांध थे और उन पर कामधेनु गाय प्रसन्न हुई तथा इस गाय ने उनका तम अर्थात अंधत्व हर लिया। तब से इन्हें गौतम कहा जाने लगा।
महर्षि जमदग्नि भगवान परशुराम के पिता थे और ब्रह्मा जी के मानस पुत्र भृगु के वंशज थे।ऋषि जमदग्नि ने अपनी तपस्या एवं साधना से उच्च स्थान प्राप्त किया।
महर्षि भारद्वाज मंत्र, अर्थशास्त्र, शस्त्रविद्या, आयुर्वेद आदि विषयों के विशेषज्ञ एवं वैज्ञानिक.महर्षि भारद्वाज देवगुरु बृहस्पति और ममता के पुत्र थे।